इरादे बुलंद हों तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहींजिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संजू शर्मा बनीं चर्चा का विषय

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पुष्पेंद्र शर्मा / प्रवेश चौहान


यूपी न्यूज़ भारत संभल


10 साल पहले संजय शर्मा आंगनवाड़ी पद पर हुई थी संजू शर्मा ने नौकरी की शुरुआत से ही घर-घर जाकर महिलाओं को उनके बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया था 3 से 6 वर्ष तक के सभी बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र पर भेजने के लिए प्रेरित किया इस साल यहां 100 बच्चे पंजीकृत हैं 0 से 6 माह के 11 ,6 माह से 3 साल तक के 45 और 3 वर्ष से 5 साल तक के 40 बच्चे शामिल हैं 12 महिलाएं गर्भवती हैं लगातार पौष्टिक आहार नियमित टीकाकरण और समय-समय पर वजन व जांच से चार में से दो बच्चे सामान्य श्रेणी में आ चुके हैं।

गांव की लड़कियों में नहीं है खून की कमी
केंद्र पर महिलाओं को बुलाकर पोषण में आयोडीन युक्त भोजन के बारे में बताती हैं बच्चों को साफ सफाई रखने के साथ-साथ खुद भी भोजन बनाने या खाने से पहले हाथ धोने के तरीके सिखा रही हैं। मिट्टी की गोलियां बनाकर बच्चों की आकृति और संख्या का ज्ञान करा रहे हैं गांव में 11 से 17 साल तक की 25 किशोरियों हैं। किशोरियों का उनके अभिभावकों में आयरन की गोलियों को भ्रम था अपने प्रयास से इस को दूर किया गौरव बाय स्कूलों में जाकर किशोरियों में (एनीमिया )खून की कमी से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया अब किशोरी आयरन की गोली ले रही हैं संजू का कहना है कि गांव में किसी भी किशोरी में खून की कमी नहीं है संजू गांव में घूम घूम कर महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती रहती हैं

अब भजन दिवस पर बच्चों को केंद्र पर अभिभावक स्वयं लेकर आते हैं उन्होंने बताया कि शुरुआत में जब गांव का सर्वे किया तो पाया कि लोग सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के बारे में कुछ खास नहीं जानते उन्हें सिर्फ इतना पता है कि यह पंजीरी बांटने की योजना है लोगों को (आईसीडीएस ) विभाग के बारे में भी बताया। इस में चल रहे कार्यक्रम और गतिविधियों की जानकारी दी उनका कहना है कि

*रीना पत्नी मनवीर उसकी दो बेटियां को खुशी थी मेरे प्रयास से आज उनकी दोनों बेटियां सामान्य ग्रेड में हैं
*कार्तिक पुत्र भाभी की मां प्रीति पहले कभी अपने बच्चे का केंद्र पर वजन कराने नहीं आते थे अब मेरे प्रयास से हर महा आंगनवाड़ी केंद्र पर आकर भजन कराती हैं
*गर्भवती आशा पत्नी मानो कभी टीकाकरण सत्र में नहीं आती थी अब मेरे प्रयास से केंद्र आकर टीकाकरण सत्र में टीका लगाती हैं मेरे अथक प्रयास से अब भजन दिवस पर लोग खुद बच्चों को लेकर आने लगे हैं बच्चों के भजन और सैनी में बदलाव के बारे में जानने के लिए उत्सुकता दिखाते हैं। संजू शर्मा ने बीते 10 साल में गांव की महिलाओं को इतना जागरूक कर दिया कि वह भजन दिवस पर खुद बच्चों को वजन कराने के अंदर आती हैं।