कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा एनआर सी

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बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरी ने बताया कि एनआरसी में छह माह से 5 वर्ष तक के बच्चे भर्ती होते हैं। यहां पर बच्चे को सम्पूर्ण इलाज के साथ पौष्टिक आहार मिलता है

आलोक शर्मा मुख्य संपादक

यूपी न्यूज़ भारत संभल –: फतेहपुर समशोई गांव वासी अरुण, उम्र 1- वर्ष अस्वस्थता और कमजोरी के कारण हर बात पर चिड़चिड़ाता था। अरुण के पिता राजकुमार सिंह ने यह बात स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बताई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सलाह पर अरुण को चंदौसी के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी)में भर्ती कराया गया। भर्ती के समय अरुण का वजन 2.8 किलोग्राम था। बेहतर खानपान और देखभाल से 15 दिन में ही उसका वजन 2.2 किलोग्राम बढ़कर 5 किलोग्राम हो गया। राजकुमार कहते हैं कि एनआरसी उनके लिए मंदिर साबित हुआ। अगर एनआरसी न जाते तो शायद ही अरुण ठीक हो पाता।
संभल ब्लॉक के अंतर्गत निवासी वाजिद पुर गांव निवासी विवेक की तबीयत अक्सर खराब रहती थी। घर वालों ने जब स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता फूला देवी से संपर्क किया तो वह उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संभल ले गई। वहां चिकित्सकों ने जांच के बाद विवेक को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने की सलाह दी। भर्ती के समय उसका वजन 4 .200- किलोग्राम था। विवेक अब पूरी तरह से स्वस्थ है। डिस्चार्ज के समय उसका वजन 1.800 किलोग्राम बढ़ गया। विवेक के पिता सुरेश बड़ी खुशी खुशी बताते हैं कि यदि कोई बच्चा अस्वस्थ है तो एनआरसी जरूर संपर्क करें।
अरुण और विवेक तो सिर्फ बानगी भर हैं। जिले में ऐसे अनगिनत मामले हैं जो एनआरसी जाकर नया जीवन पा रहे हैं।
*उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. हरविंदर सिंह ने बताया कि —-
जिले में मई 2022  से सितंबर  2022 तक 70 बच्चे एनआरसी में स्वस्थ हुए हैं। इस दौरान बाल रोग चिकित्सकों की देखरेख में उपचार के साथ जरूरत के मुताबिक बच्चों को डाइट दी गई।
एनआरसी प्रभारी /बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरी ने बताया कि एनआरसी में छह माह से 5 वर्ष तक के बच्चे भर्ती होते हैं। यहां पर बच्चे को सम्पूर्ण इलाज के साथ पौष्टिक आहार मिलता है। बच्चे के अटेंडेंट को भी निःशुल्क भोजन मिलता है। ओपीडी में आए बच्चे भी भर्ती किए जाते हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आरबीएसके टीम भी बच्चों को भर्ती कराती है। वहीं एनआरसी के विशाल बताते हैं कि डिस्चार्ज होने के बाद हर बच्चे के अभिभावक के खाते में 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 750 रुपये भेजे जाते हैं। साथ ही ऐसे बच्चों का 15-15 दिन में दो माह तक फॉलोअप भी लिया जाता है।