क्रांतिकारी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती फुब्बारा चौक स्थित स्कूल मे धूमधाम से समारोह पूर्वक मनाई

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संभल (चंदौसी) –: महापुरूष स्मारक समिति एवम सर्व समाज जागरुकता अभियान भारत के संयुक्त तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती फुब्बारा चौक स्थित सुभाष प्राथमिक विद्यालय में धूमधाम से समारोह पूर्वक मनाई गई।

सर्वप्रथम मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने नेता जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अध्यक्षता श्री राजेंद्र कुमार (प्रधानाध्यापक) ने की। संचालन पूर्व बैंक मैनेजर दिनेश चन्द्र गुप्ता (जिला संयोजक) ने किया। व्यवस्थापक ब्राह्मण महासभा के नगर अध्यक्ष पण्डित सच्चिदानन्द शर्मा रहे।

विशिष्ट अतिथि शहर के गणमान्य नागरिक रहे। जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने कहा कि अपनी पूरी जिंदगी देश को न्यौछावर करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23जनवरी 1897ई को उड़ीसा के कटक में हुआ था। आपके पिता जानकीनाथ बोस मशहूर वकील थे आपकी मां प्रभावती थी। आपकी बचपन से पढ़ाई में रुचि थी। प्राथमिक से लेकर इन्टर कॉलेज तक की शिक्षा कटक में की। प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता से स्नातक किया। पिता जी की इच्छा पर आई सी एस की तैयारी के लिए इंग्लैंड गए और आई सी एस में चौथा स्थान पाया।

लेकिन अपने बड़े भाई शरद चंद्र बोस को पत्र लिखकर कहा कि मैं स्वामी विवेकानंद जी एवम अरविंद घोष को अपना प्रेरणा स्रोत मानता हूं इस लिए अंग्रेजों की गुलामी नहीं कर सकता हूं अत: 1921में आई सी एस पद से इस्तीफा दे दिया। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के कहने पर गाँधी जी से मिले और आजादी के आंदोलनों में कूद पड़े। असहयोग आन्दोलन से लेकर साइमन कमीशन के विरोध के आंदोलनों में कलकत्ता में नेतृत्व प्रदान करते हुए जेल गए। नेता जी को ब्रिटिश शासन ने 11बार जेल में डाला। नेता जी भारत देश को जल्द से जल्द आजाद कराना चाहते थे।

1933से 1936तक नेता जी यूरोप में रहे। 1934में आस्ट्रीया मे इलाज के दौरान एमिली शेंकल से मुलाकात हुई। नेता जी ने 1937में एमिली शेंकल से विवाह किया। लेकिन भारत वासियों को 1993में में तव पता चला जब नेता जी की वेटी अनीता बोस भारत आईं।1939में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया लेकिन गांधी जी के कहने पर इस्तीफा दे दिया और 3मई 1939को फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। 1941मे जब नेता जी जेल में थे तव नेता जी अपने भतीजे शिशिर बोस की मदद से जेल से भाग निकले और सोवियत संघ होते हुए जर्मनी पहुंचे। 1943मे नेता जी जापान पहुंचे और वहां आजाद हिन्द फौज का गठन किया।

नेता जी ने 1944मे नारा दिया तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। इस नारे से देश भर में क्रांति आई। नेता जी ने जापान के सहयोग से सरकार बनाई जिसके वह प्रधानमंत्री बने। इस सरकार को ग्यारह देशों ने मान्यता प्रदान की। नेता जी द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा आज राष्ट्रीय नारा बन गया है। 18अगस्त 1945को नेता जी हवाई जहाज से मंचूरिया की तरफ जा रहे थे तव ताइवान के पास हवाई जहाज दुर्घटना ग्रस्त हो गया। जिसमें नेता जी की मृत्यु हो गई। यह जानकारी 23अगस्त 1945को टोकियो रेडियो ने दी थी। नेता जी की मृत्यु पर रहस्य बरक़रार रहा। भारत के अभिलेखों में 18अगस्त 1945ही दर्ज है। नेता जी को शत शत नमन। अध्यक्षता करते हुए राजेन्द्र कुमार, संचालक दिनेश चन्द्र गुप्ता,व्यवस्थापक ब्राह्मण महासभा के नगर अध्यक्ष पण्डित सच्चिदानन्द शर्मा, विशिष्ट अतिथि प्रमोद कुमार गुप्ता, देवेंद्र प्रसाद शर्मा, रोशन लाल, श्री मति गुंजन बतरा, एन के शर्मा, हरी सिंह यादव, दीपेन्द्र नाथ गुप्ता, अरुण सक्सेना ने नेता जी के जीवन पर प्रकाश डाला। धार्मिक दीक्षित, पप्पू कुमार, सानू हुसैन, सुमित कुमार, अभय कुमार, कु मानवी, आलोक कुमार, कु संजना, आशीष कुमार, कु नयना, कु रश्मी, अरहान, अजीत सिंह गौतम, कु सोनाली, अजान, जीतू, अभिषेक, प्रियांशु, आरिश, कु अंजू, कु मंजू, विष्णु, अर्जुन, अनुज, नैतिक, देव, अंजली ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए। समारोह का समापन राष्ट्र गान से हुआ। जय हिन्द।