सम्भल/चन्दौसी (राकेश हर्ष वर्धन)। नगर चन्दौसी की उभरती हुई प्रतिभओं का जिक्र हो और उसमें अविका अग्रवाल का नाम न आये तो यह जिक्र अधूरा सा तथा बेमानी लगता है। विदित हो कि नगर की अनेक प्रतिभाओं ने पूरंे देश तथा विश्व पटल पर चन्दौसी का नाम रोशन किया है। कुछ नन्ही सी उभरती हुई प्रतिभायें इस ओर अग्रसर हैं। नगर के शोभित अग्रवाल तथा निमिषा अग्रवाल की 11 साल की बेटी अविका अग्रवाल ने भी 5 साल की उम्र से अपनी विलक्षण नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन करना आरम्भ करते हुए क्षितिज की ऊचाँईयां छूने की ओर अपने नन्हे कदम बढ़ा दिये थे। अब 11 वर्ष की उम्र पूर्ण करते हुए उसकी कला में न केवल गजब का निखार आ गया है वरन वह एक कुशल नृत्यांगना भी बन गयी है।
क्यूट सी बच्ची अविका अग्रवाल को बचपन से ही नृत्य का शौक था। जिसे उसकी मम्मी निमिषा ने पहचान कर उसे नृत्य के क्षेत्र में दक्षता प्रदान करने के लिये उसके प्रति स्वंय को पूर्ण रुप से समर्पित कर दिया था। यह अविका की प्रतिभा तथा उसकी मम्मी निमिषा के समर्पण का ही परिणाम था कि 5 वर्ष की उम्र में नन्ही अविका ने अपने स्कूल तथा नगर की अनेकों संस्थाओं के मंच पर अपनी नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन शुरु कर दिया था। अविका की प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक उसने जितनी भी नृत्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया है उसे हमेशा प्रथम स्थान ही प्राप्त हुआ है। नगर की अनेकों संस्थाओं तथा मंचों ने समय समय पर अविका को प्रशस्तिपत्र तथा मैडल आदि देकर सम्मानित किया है। अविका के नृत्यों की एक खास बात यह भी है कि उसने कभी फूहड़ गानों पर न्ृत्य नहीं किया है। उसने हमेशा भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए अपनी नृयकला को आगे बढ़ाया है। उसने समय समय पर दुर्गा, काली, राधा, कृष्णा आदि देवी देवताओं की भाव भंगिमाओं का अपने नृत्य के माध्यम से सजीव चित्रण किया है। अविका नगर की एक ऐसी उभरती हुई प्रतिभा है जिसके नृत्य न केवल दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हैं वरन दर्शकों की चाह रहती है कि अविका का नृत्य कभी समाप्त ही न हो तथा वह उसके नृत्यों की रसधार में डूबे रहें। हमारी यही कामना है कि अविका अपनी साधना में सफल हो तथा वह अपनी कला के माध्यम से देश तथा विश्व पटल पर चन्दौसी नगर का नाम रोशन करे और हम गर्व से कह सकें कि अविका हमारी चन्दौसी की बिटिया है।