पुष्पेंद्र कुमार शर्मा
यूपी न्यूज़ भारत चंदौसी–: मुख्यचिकित्सा अधिकारी सम्भल के बहजोई स्थित कार्यालय में जिला क्षय रोग अधिकारी द्वारा डॉक्टर सन्तोष कुमार ने टीबी रोग व क्षयरोगियों को दी जाने वाली सुविधाएँ के वारे में विस्तार से बताया ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सन्तोष कुमार ने बताया कि लगातार उपचार के बाद टीबी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। साथ ही, डा. सन्तोष ने सलाह दी की टीबी का उपचार कभी भी बीच में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। ऐसा करने से टीबी की प्रथम पंक्ति की दवाएं काम करना बंद कर देती हैं और रोगी एमडीआर (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट) की स्थिति में पहुंच जाता है। इसलिए टीबी का उपचार बीच में छोड़ना खतरनाक हो जाता है।जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया टीबी का उपचार शुरू करने से पहले मरीज का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण जरूरी है। सभी निजी चिकित्सालयों और चिकित्सकों को इस संबंध में विभाग की ओर से समय-समय पर जागरूक किया जाता है। डीटीओ ने बताया कि विभाग का प्रयास है कि टीबी का एक भी मरीज नोटिफाई हुए बिना न रह जाए। उन्होंने बताया कि क्षय रोग विभाग निजी चिकित्सकों को रोगियों की जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित भी करता है। हर नोटिफिकेशन पर संबंधित चिकित्सक को पांच सौ रुपए की राशि दी जाती है। दूसरी ओर निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण के बाद सरकार की ओर से मरीज को हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान बेहतर पोषण के लिए किया जाता है। चूँकि सामान्य टीबी की के मरीज़ का इलाज छः माह चलता है तो इस प्रकार से टीबी के रोगी को पूरे इलाज के दौरान 3000 हजार रूपेय पोषण राशि के अंतर्गत दिए जाते हैं । एमडीआर टीबी रोगी का इलाज लगभग नौ माह व किसी किसी केस में 18माह भी चलता है तो इस प्रकार से एमडीआर मरीज़ को इलाज के दौरान 4500 रुपए से लेकर 9000 हजार रुपए तक की पोषण प्रोत्साहन राशि रोगी को दी जाती है । क्षय रोग विभाग के जिला समन्वयक पंकज यादव ने बताया कि आशा कार्यकत्री ट्रीटमेंट सपोर्टर के रूप में इस कार्यक्रम से जुड़ी हुयी हैं जिसके तहत वो रोगी का छः माह का कोर्स अपनी देख रेख में पूरा कराती हैं इलाज के दौरान मरीज़ की समय समय पर होने वाली जाँच में सहायता करती हैं , जिसमें योजना के तहत रोगी का छः माह का पूरा कोर्स पूरा होने के बाद 1000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है , टीबी से ग्रसित सभी मरीज़ों की एचआइवी व शुगर की जाँच की जाती है उन्होंने बताया की जनपद में संचालित ट्रुनाट मशीनो द्वारा आधुनिक तरीक़ों से टीबी की जाँच की जाती है तथा ये मशीन ड्रग रेसिस्टेंट रोग की भी जाँच करती है
डॉक्टर सन्तोष ने बताया कि जनपद के किसी भी व्यक्ति को टीबी के इलाज हेतु बाहर जनपद में जाने की कोई ज़रूरत नहीं हैं ।रोग से सम्बंधित समस्त जाँचे व इलाज जनपद के सभी चिकित्सालयों में निशुल्क उपलब्ध है।सभी सरकारी अस्पतालों में क्षयरोग की सभी दवाइयाँ भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं ।
मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉक्टर तरन्नुम रजा ने बताया कि जब कोई क्षय रोग ग्रसित व्यक्ति छींकता या खाँसता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट नयुक्लिआई उत्पन्न होता है जो की हवा के माध्यम से अन्य व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है उन्होंने बताया की चूँकि ये रोग हवा के माध्यम से फैलता है इसलिए सभी क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति को मुँह पर मास्क या कपड़ा बांधना चाहिये जिससे इस रोग को फैलने से रोका जा सके। उन्होंने बताया कि जनपद में इस समय 7ट्रुनाट मशीनें व एक सीबीनाट मशीन उपलब्ध है।इलाज ले रहे क्षयरोगियों को विभिन्न संस्थाओं द्वारा भी गोद लिया जा रहा है जिसमें मरीज़ों को अच्छे स्वास्थ्य लाभ हेतु न्यूट्रिसियन किट्स दी रही हैं