तुम्हें काँटे चुभे हैं इसलिये भी तुम्हारा फूल सा अंदाज होगा…सोनरुपा

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सम्भल/चन्दौसी (राकेश हर्ष वर्धन)। इत्ती सी खुशी ने आशनाई नाम से नगर के संजीवनी पैलेस में आॅल इण्डिया मुशायरे का भव्य आयोजन किया। जिसमें देश के नामी गिरामी शायरों व कवियों ने शिरकत की। श्रोताओं ने उनकी शेरो शायरी, गजलों व कविताओं के रस में डूबकर भरपूर लुत्फ उठाया। मुशायरे के आगाज से पहले देश के तीन मशहूर शायरों की तीन किताबों का विमोचन भी किया गया। जिनमें पहली किताब चन्दौसी के शायर विनीत आशना की आशनाई, दूसरी किताब फहमी बदाँयुनी की हिज्र की दूसरी दवाई तथा तीसरी किताब नसीम हाशमी की अहसास का सफर शामिल थीं।

         मुशायरे की खास बात यह थी कि आयोजकों ने उर्दू भाषा के तमाम शायरों के बीच दो हिन्दी भाषा के कवियों को भी शामिल कर यह जताया कि हिन्दी और उर्दू आपस में दो बहिने हैं। वैसे तो दोनों ही भाषायें अपने आप में परिपूर्ण हैं लेकिन इन दोनों के साथ के बिना जैसे इनका अस्तित्व अधूरा सा लगता है। शायर फरहत एजाज का मानना है कि सभी धर्म एक होते हैं जो लोग इनमें फर्क महसूस करते हैं उनकी हमेशा ही आलोचना फरहत एजाज सार्वजनिक रुप से करते रहे हैं। उन्होने हिन्दू और इस्लाम धर्म की एकता पर एक शेर भी कहा है कि क्या मज़ा इबादत में है मियाँ जो बुत परस्ती में नहीं। अर्थात जो मजा खुदा की इबादत में है वही मजा मूर्ति पूजा में भी है, दोनों में कोई फर्क नहीं है। श्रोताओं द्वारा उनका यह शेर विशेष रुप से सराहा गया।

        मुशायरें में शायर फरहत एहसास ने फरमाया कि इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से मुहब्बत करके देखो न मोहब्बत क्यों नहीं करते। अजहर इनायती का अंदाजे बयां कुछ इस तरह था कि इस रास्ते में जब कोई साया न पायेगा ये आखिरी दरख्त बहुत याद आयेगा। फहमी बदाँयुनी के शेर दिल जब खाली हो जाता है और भी भारी हो जाता है पर श्रोताओं ने उन्हे देर तक दाद दी। शकील जमाली ने कहा कि उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैं सब पानी में काँटा डाले बैठे हैं। हसीब सोज ने कहा कि तुम्हारी बेवफाई सब पे जाहिर हो चुकी है दवा अच्छी थी मगर एक्सपायर हो चुकी है। शायर के रुप में पधारे आईएएस अधिकारी पवन कुमार ने कहा कि कलेजा रह गया उस वक्त फटकर कहा जब अलविदा उसने पलट कर उन्होने अपना दूसरा अनुभव कुछ यूँ बयाँ किया कि सूरज की तपिश का क्या करें गिला हमसे तो चाँद भी तमतमा के मिला। नसीम हाशमी ने कहा कि अब उजाले नहीं मागूँगा कभी गैरों से इन चिरागों से मेरे घर में धुँआ होता है। नगर के लोकप्रिय शायर विनीत आशना ने कहा कि तुझसी बातें तेरे हमशक्ल नहीं कर सकते फूल इतनी भी तेरी नक्ल नहीं कर सकते। उभरते हए नौजवान शायर चराग शर्मा ने कहा कि ये आसमान अगर सायबान है तेरा तो भूल मत किसी का ये पायदान भी है। एक और नौजवान शायर अहमद अजीम ने कहा कि रिहाई माँगी तो मेरी सजा बढ़ा दी गई बढ़ी चिराग की लौ और हवा बढ़ दी गई।

इन नामी गिरामी शायरों के बीच हिन्दी काव्य के दो चमकते हुए सितारे भी मंच पर मौजूद थे। एक ओर जहाँ कवि सौरभ कांत शर्मा ने चन्द्रशेखर आजाद, शहीद भगत सिंह आदि तथा अपनी एक प्रसिद्व रचना इस देश के गद्दार कौन कौन थे वहीं दूसरी ओर सुप्रसिद्व कवियत्री डा0 सोनरुपा विशाल ने अपनी मखमली आवाज में गीत शोख अक्टूबर की शाम पान में जैसे किमाम तथा नज्म वो जब हालात से नाराज होगा यकीनन फिर कोई आगाज होगा तुम्हें काँटे चुभे हैं इसलिये भी तुम्हारा फूल सा अंदाज होगा सुनाकर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिये। श्रोताओं ने इन रचनाओं को दिल खोलकर दाद दी। मुशायरे का संचालन शकील जमाली ने किया।