सम्भल/चन्दौसी (आलोक शर्मा /राकेश हर्ष वर्धन)। रविवार को नगर के नानकचंद आदर्श इन्टर कालिज में कालिज के संस्थापक स्व0 ओम प्रकाश शर्मा एडवोकेट की स्मृति तथा नव वर्ष के उपलक्ष्य में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
जिसमें फहमी बदाँयूनी, नसीम हाशमी, जे0एन0 मिश्रा, अतुल मिश्र, विनीत आशना, अमीर इमाम, रमेश अधीर, डा0 अमीरुद्दीन, डा0 सौरभकांत शर्मा, राशिद राहत अली चिश्ती, अहमद अजीम, चराग शर्मा, आशा बिसरिया, खुशबू डुडेजा आदि शायरों व कवियों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता मेजर अवध किशोर शर्मा ने की तथा संचालन चराग शर्मा ने किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ स्व0 ओम प्रकाश शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण कर तथा पुष्प अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम में फहीम बदाँयूनी ने कहा कि उसके जैसा कोई मिला ही नहीं, कैसे मिलता कहीं पर था ही नहीं। उन्होने कहा कि पीछे मुड़कर भी देखते रहिये, खिड़कियां बाद में भी खुलती है। उन्होने यह भी कहा कि दिल जब खाली हो जाता है और भी भारी हो जाता है। नसीम हाशमी ने कहा कि अब उजाले नहीं माँगूंगा कभी गैरों से इन चरागों से मेरे घर में धुआ होता है। विनीत आशना ने कहा तुझ सी बातें तेरे हमशक्ल नहीं कर सकते फूल इतनी भी तेरी नक्ल नहीं कर सकते। एक ले दे के हमें इश्क ही तो आता है और कुछ काम तो कमअक्ल नहीं कर सकते। अमीर इमाम ने कुछ यूँ फरमाया धूप में कौन किसे याद किया करता है पर तेरे शहर में बरसात तो होती होगी। अहमद अजीम ने कहा कि बच्चा बोला गुब्बारे वाले से एक चक्कर मेरी गली की तरफ। चराग शर्मा ने कहा कि तुम्हारा क्या है तुम्हें तो सिर्फ ज्ञान देना है हमारी सोचो हमें तो इम्तिहान देना है। डा0 सौरभकांत शर्मा ने बताया कि शिव परिवार को परिवार तथा राम दरवार को दरवार क्यों कहा जाता है। उन्होने काव्य रुप में सीता जी की करुणा तथा राजा रामचन्द्र के राजधर्म का उल्लेख किया।
इनके अलावा अन्य कवियों व शायरों ने अपनी अपनी प्रस्तुतियां दीं। कनिका पाठक ने डा0 सोनरुपा विशाल की गजल शाम सी नम रातों सी भीनी भोर सी है उजियारी माँ तरन्नुम में गाकर श्रोताओं की वाह वाही लूटी। कार्यक्रम में कालिज प्रबंधक अरुण शर्मा, प्रधानाचार्य दृगपाल, पप्पू चैधरी, राजीव लोचन शर्मा, राजेन्द्र सिंह एडवोकेट, मेवाराम, अनिल गर्ग, कृष्णगोपाल रस्तोगी, अतुल शर्मा, वसीमुद्दीन, पराग शर्मा आदि उपस्थित रहे।