आलोक शर्मा / पुष्पेंद्र शर्मा
यूपी न्यूज़ भारत संभल,
जुनावई-ब्लॉक की 27 वर्षीय सुमित्रा 3 माह की गर्भवती है। जुलाई से उसको सुबह-शाम खांसी संग बुखार आता है। पति के साथ वह संभल सरकारी अस्पताल गई तो वहां बलगम की जांच में टीबी निकली। डॉक्टर की सलाह पर उसने टीबी की दवा शुरू की। साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण के लिए उसके बैंक खाते में 500 रुपये प्रति माह आने लगे। अब वह पहले से काफी स्वस्थ है और हर महीने जांच के लिए सीएचसी पर भी जाती है।
यह कहानी सिर्फ सुमित्रा की नहीं है। टीबी के ऐसे कई मामले हैं जो सिर्फ सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर चिन्हित हुए और अब पोषण भत्ते के साथ स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संतोष कुमार सिंह ने बताया कि जिले में क्षय रोग पूरी तरह समाप्त करने के लिए हर दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जिले में गर्भवती महिलाओं की टीबी जांच की जा रही है। जिले में जनवरी 2022 से लेकर अब तक 10 गर्भवतियों में टीबी चिन्हित हुई हैं। सभी का निःशुल्क इलाज जारी है। उन्होंने बताया कि गर्भ के दौरान पौष्टिक भोजन लेना चाहिए। इससे गर्भ में पल रहा शिशु व मां दोनों सुरक्षित रहेंगे।
*जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ संतोष कुमार सिंह
ने बताया कि वर्ष में बच्चेदानी में टीबी होने के 8 से 10 केस पता चलते हैं। उन्होंने बताया कि गर्भवती को लगातार खांसी के साथ बुखार जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं। इस दौरान गर्भवती को टीबी होने का जोखिम बना रहता है। इसका असर भ्रूण पर भी पड़ सकता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती को टीबी यानि क्षय रोग हो जाए, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। गर्भवती के शरीर में हो रही हर छोटी–बड़ी समस्या के प्रति सचेत रहने की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड में बच्चेदानी की टीबी पता चल जाती है और दवा से गर्भ भी ठहर जाता है।
महिला रोग विशेषज्ञ
- डॉ. गौरी- ने बताया की पौष्टिक आहार की कमी से गर्भवती को टीबी होने की आशंका रहती है। इससे इलाज भी थोड़ा जटिल हो जाता है। पौष्टिक आहार लेने में लापरवाही से भ्रूण के विकास में बाधा आती है। कम वजन के साथ बच्चे का जन्म समय से पहले होने का खतरा रहता है। इससे उसका शरीर भी अविकसित हो सकता है।