यूपी न्यूज़ भारत चंदौसी – सर्व समाज जागरूकता अभियान (भारत) एवम महापुरुष स्मारक समिति के संयुक्त तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की जयंती स्टेशन रोड पर स्थित भगत सिंह पार्क(स्मारक) पर धूमधाम से मनाई गई।सर्वप्रथम मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने भगत सिंह स्मारक (मूर्ति) पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अध्यक्षता अरुण सक्सेना ने की संचालन पूर्व बैंक मैनेजर दिनेश चंद्र गुप्ता ने किया। व्यवस्थापक नगर अध्यक्ष(ब्राह्मण महासभा) पंडित सच्चिदानंद शर्मा रहे। कार्यक्रम संयोजक जिला अध्यक्ष (ब्राह्मण महासभा) पंडित सुरेश चंद्र शर्मा रहे। बिशिष्ट अतिथि शहर के गणमान्य नागरिक रहे।मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह का जन्म २७सितंबर १९०७को पंजाब प्रांत के लायलपुर के बंगा गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। उनके पिता सरदार किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह जेल में थे वह भी क्रांतकारी थे।माता विद्यावती कौर थी। १३अप्रैल १९१९ में जलियां वाला बाग हत्याकांड के समय मात्र १२बर्ष के वीरू(बचपन का नाम) पढ़ रहे थे उन्हे पता चला वह स्कूल से ४०मील पैदल चलकर जलियां वाला बाग पहुंचे। वहा निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई गई थी। । सबसे पहले नौजवान भारत सभा बनाई।फिर हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए।बाद में चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन बनाई जिसमे अन्य संगठन शामिल किए। इसका उद्देश्य सेवा,त्याग,और क्रांतिकारी तैयार कर ना था।जब १९२८ में साइमन कमीशन के विरोध करने पर क्रांतिकारी लाला लाजपत राय घायल हो गए बाद में १७ नवंबर १९२८ को चोटों के कारण उनका निधन हो गया। क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश शासन से बदला लेने के लिए १७दिसंबर १९२८को जे पी सांडर्स की हत्या कर दी। ८अप्रैल १९२९को बटकेश्वर दत्त के साथ नई दिल्ली संसद भवन परिसर में बम ब्लास्ट किए,बम फेंकने के बाद भागे नही गिरफ्तार हुए।जेल में भगत सिंह ने साथियों के साथ ६४दिनों की भूख हड़ताल की इसमें साथी यतिन्द्रनाथ दास ने प्राण त्याग दिए। ७अक्टूबर १९३० को अदालत द्वारा भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव,को फाँसी की सजा सुनाई गई।२३ मार्च १९३१ को तीनों क्रांतिकारियों को फांसी शाम ७बजकर ३३मिनिट पर दे दी।मेरा रंग दे बसंती चोला कहते हुए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव,ने फांसी के तख्ते को चूम लिया। शहीद भगत सिंह पर कई फिल्में बन चुकी हैं।१९६८ में डाक टिकट जारी किया गया।२०१२में उनकी स्मृति में ५रूपये के सिक्के जारी किए गए।उनके बलिदान के कारण १५अगस्त १९४७को भारत आजाद हुआ। अध्यक्ष ता करते हुए अरुण सक्सेना, संचालक दिनेश चंद्र गुप्ता, नगर अध्यक्ष पंडित सच्चिदानंद शर्मा, संयोजक पंडित सुरेश चंद्र शर्मा,वेदराम मौर्य, रमेश चंद्र शर्मा, एन के शर्मा, एस एन मिश्रा,उमेश सक्सेना, डॉक्टर जितेन्द्र वर्मा, गौरब चंद्रा,नीरज चंद्रा, अरुण शर्मा, तेजपाल सिंह,प्रवेशकुमार, धार्मिक दीक्षित,उस्मान खान, गगन राघव, निगम शर्मा, रचित शर्मा,प्रदीप यादव, फुरकान, मोनू कुमार, रमन कुमार आदि ने विचार रखे।