भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभपंत की जयंती फब्बारा चौक स्थित गोविंद वल्लभ पन्त उच्चतर प्राथमिक विद्यालय में समारोह मनाई

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यूपी न्यूज़ भारत –: महापुरुष स्मारक समिति एवं सर्व समाज जागरूकता अभियान (भारत) के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता सेनानी,उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री,भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभपंत की जयंती फब्बारा चौक स्थित गोविंद वल्लभ पन्त उच्चतर प्राथमिक (जूनियरहाईस्कूल) विद्यालय में समारोह पूर्वक मनाई गईं।सर्वप्रथम मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीयअध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया।अध्यक्षता आशुतोष गुप्ता (प्रधानाचार्य) ने की।संचालन श्री मति स्वाति गुप्ता(शिक्षिका) ने किया।व्यवस्थापक श्री मति शिखा सक्सेना(शिक्षिका)ने की।विशिष्ट अतिथि एन के शर्मा(सेवानिवृत्त अधिकारी),श्री नवीन गुप्ता(सेवानिवृत्तअधिकारी),रोशन लाल(सेवानिवृत्त प्रधानआध्यापक),दीपेंद्र नाथ गुप्ता रहे।

मुख्यअतिथि/मुख्य वक्ता अखिलभारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीयअध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत रत्न गोविंद बल्लभपंत महान स्वतंत्रतासेनानी,उत्तरप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री,देश के चौथे गृहमंत्री,थे।गोविंद वल्लभ पन्त का जन्म 10 सितम्बर 1887 को अल्मोड़ाजिले के श्यामली पर्वतीय क्षेत्र स्थित खूंट गॉंव में हुआ था उनके पिता मनोरथ पंत एवं माता गोविन्दी बाई थी।पिता का उनके बचपन मे निधन हो गया जिसके कारण नाना बद्री दत्त जोशी ने पालन किया।1905 में वह अल्मोड़ा से इलाहाबाद(प्रयागराज) चले गये।वहां म्योर सेंट्रल कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की।1907 में बी ए,1909 में कानून की डिग्री सर्वाधिक अंको में पास की ,उन्हें कॉलेज की तरफ से लेम्सडेन अवार्ड दिया गया।1910 में अल्मोड़ा आकर वकालत की।वहां से वह काशीपुर गये,वहां प्रेम सभा नामक संस्था बनाई जिसका उद्देश्य शिक्षा औऱ साहित्य के प्रति जनता में जागरूकता उत्पन्न करना था।इस संस्थाका कार्य इतना व्यापक था कि ब्रिटिश स्कूलों को काशीपुर से बोरियाबिस्तर बांधकर भागने में भलाई लगी।1921 से वह गांधीजी के आह्वान असहयोग आंदोलन से खुली राजनीति में आए।पंतजी ने9 अगस्त1925 काकोरीकांड में भी क्रांतिकारियों के मुकदमे की पैरवी की।पंतजी ने 1928 में साईमन कमीशन के बहिष्कार औऱ 1930 के नमक सत्याग्रह में भी भाग लिया।जिसके कारण ब्रिटिशशासन की लाठीचार्ज से गर्दन टेडी हो गयी।1930,1942 में उन्हें देहरादून की जेल में डाल दिया।वह 1937 से 1939 तक संयुक्त प्रांत के मुख्य मंत्री एवं 1946 से 1947 तक मुख्यमंत्री,तथा संबिधान लागू होने पर उत्तरप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने।सरदारपटेल की मृत्यु के बाद भारत के चौथे गृहमंत्री बने 1957 में भारत रत्न से नबाजा गया।7 मार्च 1961 को गृहमंत्री रहते स्वर्गवास हो गया।उनके नान पर स्थापित कृषि विश्व विद्यालय,दिल्ली g,b पंत हॉस्पिटल,औऱ कई स्मारक है।अध्यक्षता करते हुए आशुतोष गुप्ता,संचालन करते हुए स्वाति गुप्ता,शिखा सक्सेना,रोशन लाल,नवीन गुप्ता,दीपेंद्र नाथ गुप्ता,एन के शर्मा ने विचार व्यक्त किये।सतीश चंद्र,सान्या,निशा,शीतल,फिजा,सरवीन,शबनूर,कुक्कू,नदीम,सुरभि,गौतम,रहन्नुम,आसिफा,अमन ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किये।अंत मे राष्ट्र गान से समापन हुआ।