व्यक्ति अपने मन के कारण ही बंधन में है और मन के द्वारा ही मोक्ष प्राप्त कर सकता है — पंडित बृजेश पाठक

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अनिरुद्ध शंखधार

यूपी न्यूज़ भारत चंदौसी संभल –:मन ही व्यक्ति के बंधन एवं मोक्ष का कारण पंडित बृजेश पाठक रामायणी सीता रोड स्थित श्री गीता सत्संग भवन में आयोजित सप्त दिवसीय रामचरितमानस प्रवचन के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित बृजेश पाठक रामायणी ने कहा व्यक्ति अपने मन के कारण ही बंधन में है और मन के द्वारा ही मोक्ष प्राप्त कर सकता है व्यक्ति का मन ही उसे स्वर्ग ले जा सकता है और व्यक्ति का मन ही उसे नर्क ले जा सकता है सब कुछ व्यक्ति के चिंतन पर निर्भर है व्यक्ति के चिंतन के द्वारा ही उसका निर्माण होता है यदि व्यक्ति का चिंतन उसके विचार गिर जाए तो व्यक्ति भी गिर जाता है

इसीलिए कहा गया है गिरते हैं जब ख्याल तो गिरता है आदमी जिसने इन्हें संभाल लिया वह खुद संभल गया इसलिए व्यक्ति को निरंतर अपने मन के द्वारा भगवत चिंतन करना चाहिए क्योंकि संसार के विषय भोगों का चिंतन करने से व्यक्ति का मन अशुद्ध होता है और भगवान का चिंतन करने से मन शुद्ध होता है शुद्ध चिंतन से व्यक्ति का ह्रदय दर्पण की बात हो जाता है और उसी मन में परमात्मा का दीदार होता है पंडित बृजेश पाठक ने कहा संसार में रहना बुरा नहीं है आज तक जितने भी संत हुए हैं घर परिवार समाज में ही रहे लेकिन मन को परमात्मा में रखा यही जीवन जीने की शैली होनी चाहिए शरीर के द्वारा संसार के सारे कार्यों को संपादित करें
और मन के द्वारा भगवान का चिंतन करते रहे सत्संग में यही कला सिखाई जाती है कर से कर्म करो विधि नाना मन रखो जहां कृपा निधान आ रामायण के सभी भक्तों का मन चाहे वह लक्ष्मण जी या हनुमान जी या भरत जी सबका मन भगवान के चरणों में लगा हुआ है धन्य है वह महापुरुष जिसने अपना मन भगवान के चरणों में जोड़ दिया है क्या हो जाता है आज बड़ी संख्या में श्रोताओं ने श्री राम कथा में पहुंचकर प्रभु राम की मंगलमई कथा का श्रवण किया