संभल से प्रवेश चौहान की रिपोर्ट
हिंदू जागृति मंच के तत्वावधान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई गई | इस अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया |
नगर के सनातन धर्म मंदिर में सुभाष जयंती के अवसर पर सर्वप्रथम अजय कुमार शर्मा, शलभ रस्तौगी, प्रीति शर्मा और सुबोध कुमार गुप्ता सुभाष चंद्र मोंगिया, अनंत कुमार अग्रवाल, संतोष कुमार गुप्ता, शालिनी रस्तोगी, मीनू रस्तोगी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र के समक्ष माल्यार्पण किया |
इस अवसर पर मुख्य वक्ता सुभाष चंद शर्मा ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस एक मेधावी छात्र थे जो हमेशा परीक्षा में अव्वल आते थे | 1919 में उन्होने स्नातक किया | भारतीय प्रशासनिक सेवा (इण्डियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया | अंग्रेज़ी शासन के जमाने में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था, लेकिन उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा न सिर्फ पास की बल्कि चौथा स्थान भी हासिल किया लेकिन उन्मुक्त विचारों वाले सुभाष का मन अंग्रेजों की नौकरी में कहां लगने वाला था भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया |
प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा बुलंद करने वाले महान देशभक्त सुभाष चंद्र बोस एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने न सिर्फ देश के अंदर बल्कि देश के बाहर भी आज़ादी की लड़ाई लड़ी | राष्ट्रीय आंदोलन में नेताजी का योगदान कलम चलाने से लेकर आज़ाद हिंद फौज का नेतृत्व कर अंग्रेज़ों से लोहा लेने तक रहा है | नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अपने कॉलेज के शुरुआती दिनों में ही बंगाल में क्रांति की वो मशाल जलाई, जिसने भारत की आज़ादी की लड़ाई को एक नई धार दी |
प्रदेश महामंत्री सुबोध कुमार गुप्ता ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस एक करिश्माई क्रांतिकारी नेता थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी, खासकर भारत के सीमांतों के बाहर। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम वर्षों के दौरान, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी विचारों का प्रस्ताव रखा, जिसने लाखों भारतीयों की कल्पना को अंदर और बाहर दोनों जगह पर जीवंत रखा और राष्ट्रवाद और देशभक्ति की अवधारणा को फिर से परिभाषित किया। अपने करिश्माई व्यक्तित्व, राष्ट्र के प्रति समर्पण, नेतृत्व कौशल और क्रांतिकारी विचारों के कारण, उन्होंने भारत में स्वतंत्रता के बाद एक महान दर्जा हासिल किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघचालक प्रेम रस्तोगी ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस भगवत गीता के मजबूत विश्वासी थे। यह उनका विश्वास था कि भगवत गीता अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत था। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को भी उच्च-सम्मान में रखा।सुभाष चंद्र बोस एक महान भारतीय राष्ट्रवादी थे। लोग आज भी उन्हें अपने देश प्रेम के लिए याद करते हैं। सबसे उल्लेखनीय, उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी। सुभाष चंद्र बोस निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे।
इस अवसर पर मीनू रस्तौगी, सरिता गुप्ता, शालिनी रस्तौगी, रजनी गुप्ता, गुंजा गुप्ता, अनंत कुमार अग्रवाल, सुभाष चंद्र मोंगिया, भरत मिश्रा, अंकुर रस्तौगी, संतोष कुमार गुप्ता, राजेंद्र सिंह गुर्जर, शलभ रस्तौगी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश महामंत्री सुबोध कुमार गुप्ता ने तथा संचालन जिला महामंत्री विकास कुमार वर्मा ने किया |