सम्भल/चन्दौसी (राकेश हर्ष वर्धन)। नगर के जाने माने शायर विनीत आशना ने महेन्द्रा रेस्टोरेंट में विशाल शायर गोष्ठी का विशाल आयोजन किया। जिसमें दूर दूर से नामी गिरामी शायरों ने आकर शिरकत की। नगर के कुछ उभरते हुए शायरों जिनका नाम आज पूरे भारत देश में अदब के साथ लिया जाता है ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर अपने अपने कलाम पेश किये। देर शाम शरु होकर रात तक चली इस शायरी की महफिल में शायरों ने अपने अपने कलाम पेश कर गीत, गजल, कविता तथा शायरी के लाजवाब आयाम पेश किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता नामी गिरामी वयोबृद्ध शायर फहमी बँदायुनी ने की। अज़्म शाकिरी ने मुख्य अतिथि पद को सुशोभित किया।
गोष्ठी का आगाज नगर के जाने माने युवा शायर चराग शर्मा ने अपनी प्रस्तुतियों से किया। उन्होने कहा वो शांत बैठा है कब से, मैं शोर क्यूं न करुँ बस एक बार वो कह दे चुप तो चूँ न करुँ। दुनिया के अग्रणी शायरों में शुमार फहमी बदायुनी ने अपना कलाम कुछ यूँ पेश किया देखकर याद कुछ नहीं आता अच्छे लगते हैं अजनबी हमको।
देश के जाने माने शायर अज़्म शाकिरी का अंदाजे बयाँ कुछ यूँ रहा मैंने एक शहर हमेशा के लिये छोड़ दिया लेकिन उस शहर को आँखों में बसा लाया हूँ। नसीम हाशमी ने कहा अब उजाले नहीं मागूँगा कभी गैरों से इन चिरागों से मेरे घर में धुंआ होता है। वसीम नादिर का लहजा देखिये कलम लबों पे दबाये हुए वो इक लड़की उसी का अक्स बनाता हुआ वो इक लड़का। रमेश अधीर ने कहा कि हे यार अदावत मत करना दुक्खों की दावत मत करना।
नगर की जानी मानी कवियत्री आशा बिसरिया ने बंसत आ गया नामक गीत अपनी सुरीली आवाज में पेश किया। नगर के एक और जाने माने शायर विनीत आशना जिनका नाम आज पूरे देश में है ने कहा कि औरतें इश्क में माँओं की तरह होती हैं आदमी इश्क में बच्चों की तरह होता है।
जाने माने शायर अमीर इमाम ने कहा सूरत पंसद जिसकी न आदत पसंद है हमको वो इक शख्स निहायत पसंद है। नगर के जाने माने शायर शिवदत्त संदल ने कहा इस दौर में दम तोड़ते अरमान बहुत हैं हालात के मारे हुए इंसान बहुत हैं। शायर आशु मिश्रा ने कहा जो पर्दादारी चली तो यारी नहीे चलेगी हमारी दुनिया में दुनियादारी नहीे चलेगी। डा0 अमीरुद्दीन बिसौलवी ने कहा ठहर जाते अगर कूए सनम में न होते मुब्तला दुनिया के गम में। सैफुर्रहमान ने कहा वो मेरी दुनिया थी और उसको हासिल कर चुका हूँ मैं सो अपने नाम के आगे अब आलमगीर लिखना है। युवा शायर अहमद अजीम ने कहा सिफारिशों के बजाए हुनर से जाने गये परिंदे पेड़ से नहीं बालों पर से जाने गये। नगर के एच0बी0 शायर के नाम से मशहूर हिमाँशू वशिष्ठ ने अपना चिर परिचित उर्मिल शीर्षक से गीत पढ़ा। कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहे युवा शायर उज्जवल वशिष्ठ ने कहा छुपाना चाहते हैं अपने आँसू सो हम बरसात में बैठे हुए है। सामूहिक भोज के साथ शुरु हुए इस कार्यक्रम का समापन सूक्ष्म जलपान के उपरान्त किया गया।