सम्भल/चन्दौसी (राकेश हर्ष वर्धन /पुष्पेंद्र शर्मा)। विश्व स्तनपान सप्ताह के शुभारम्भ के पहले दिन सीएमओ डा0 तरन्नुम रजा ने बताया कि नवजात शिशु एवं मां की देखभाल के लिये हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व स्तनपान सप्ताह चलाया जा रहा है। इस अभियान में मुख्य रुप से शिशु के जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला दूध पिलाने, 6 माह तक केवल स्तनपान कराना, कंगारु मदर केयर एवं गृह आधारित नवजात की देखभाल एचबीएनसी के वारे में लोगों विशेषकर महिलाओं को जागरुक एवं प्रेरित किया जायेगा।
अपर मुख्य चिकित्सा आयुक्त डा0 कुलदीप कुमार आदिम ने बताया कि स्तनपान शारीरिक व मानसिक विकास भी प्रदान करता है। इतना ही नहीं स्तनपान कराने से मां को किसी भी गंभीर बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है। जागरुकता की कमी के कारण तमाम मां बच्चे को शुरु में स्तनपान नहीं कराती हैं। जबकि बच्चे को जन्म के एक घंटे के अन्दर मां कर दूध पिलाकर कई गम्भीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसलिये महिलाओं को जागरुक करने के लिये हर साल एक अगस्त से 8 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता है। जिला कार्यक्रम प्रबंधक संजीव राठौर ने बताया कि स्तनपान से बाल मृत्यु दर में कमी आती है। बच्चे का जन्म होने से 24 घंटे बाद तक मां के दूध में कोलास्टम निकलता है। जिसमें बच्चे को निरोगी रखने के लिये बहुत अधिक मात्रा में एंटीबाॅडीज होते हैं। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है। जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने से 20 फीसदी शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। इसके अलावा स्तनपान कैंसर से होने वाली मौत को भी कम करता है। दस्त और निमोनिया के खतरे में 11 फीसदी व 15 फीसदी की कमी लायी जा सकती है। स्तनपान के लिये जरुरी है कि बच्चे को जन्म के बाद जितनी जल्दी हो सके स्तनपान कराना चाहिये तथा जन्म से 6 माह तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिये। साथ ही उसे पौष्टिक आहार देने चाहिये। स्तनपान के यह लाभ भी होते हैं कि इससे आंचल आसानी से छूट जाती है। प्रसव के बाद अत्याधिक रक्तस्राव का खतरा भी कम हो जाता है। स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर और अंडाशय कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। हड्डियों के कमजोर पड़ने के प्रकरण कम हो जाते हैं। साथ ही परिवार नियोजन में कुछ हद तक सहयोग प्राप्त होता है।