अनिरुद्ध शंखधर वरिष्ठ पत्रकार
चंदौसी (संभल) –भगवान ही जीव के सच्चे स्नेही हैं पंडित बृजेश पाठक रामायणी श्री गीता सत्संग भवन चंदौसी में चल रही श्रीराम कथा में कथा व्यास पंडित बृजेश पाठक ने कहा कि यूं तो संसार में बहुत से स्नेही मिलते हैं गली कूचे मिलते हैं पर प्रश्न यह है कि उनका स्नेहठहरता कितनी देर है पानी पर खींची गई लकीर की तरह बनता बाद में है मिट पहले जाता है संसार के सारे संबंध अस्थिर हैं एक भगवान का संबंध ही स्थिर है क्योंकि संसार के संबंध मन पर आधारित है और मन हमेशा अस्थिर रहता है जबकि परमात्मा सास्वत है है
अतएव उसका संबंध भी शाश्वत है यहां कब कौन किस को छोड़ कर चल देगा कुछ नहीं मालूम लेकिन यदि भगवान से संबंध बन जाए तो लोक की तो बात क्या भगवान परलोक मैं भी संबंध का निर्वाह करते हैं अतएव उन्हीं को अपना मानना और जानना कल्याणकारी है सत्संग हमें यही सिखाता है रामायण में माता सुमित्रा ने लक्ष्मण जी को यही उपदेश किया कि लक्ष्मण तुम्हारे माता-पिता दशरथ और सुमित्रा नहीं बल्कि सीताराम है